कलम से खून तक यह सच्ची कहानी है एक क्राइम रिपोर्टर की उसका प्रथम भाग आज से शुरू हो रहा है आप जरूर पढ़ें दैनिक देश की रोशनी का विशेष लेख अवश्य पसंद आएगा आपको

एक कहानी एक ऐसे रिपोर्टर की है जिसने जान हथेली पर लेकर डकैतों बदमाशों माफियाओं पुलिस और सब से टक्कर लेकर अपने अखबार को तो बढ़ाया ही बढ़ाया जनता की इतनी सेवा की उसने भी सभासद पद पर इतने बहुमत से चुनाव जीता है कि लोग आज तक उस चुनाव को याद करते हैं आज जो तमाम मंत्री बने हैं आज जो तमाम नेता है कल तक उसके पीछे टहलते यह रिपोर्टर वकालत छोड़ कर यहां आया था  कानून की पूरी बारीकी जानता था  क्योंकि हाईकोर्ट से यहां आया था इस पूरी कहानी का लेखक है रॉकी


यह कहानी शुरू होती है आज से 40 साल पहले जब एक मात्र एक बार था लखनऊ में हिंदी में स्वतंत्र भारत जो कि देश की आजादी किरात से निकल रहा था और एक अखबार था अंग्रेजी में जिसको अंग्रेज निकालते पायनियर अखबार अंग्रेजी में निकलता था और इस अखबार को अंग्रेज निकालते थे बात है सन उन्नीस सौ 80 की जब इसका दफ्तर आज जहां रतन स्क्वायर है विधान सभा मार्ग पर वहां पर पहले स्वतंत्र भारत और पायनियर दरबार का दफ्तर हुआ करता था दफ्तर तो बहुत पहले से था लेकिन या जांबाज आरडी शुक्ला सन 1980 में इस सचिन भारत अखबार में रखा गया और फिर इसने धीरे-धीरे यहां पर अपना काम शुरू किया शुरू में तो दिक्कतें आई क्योंकि मीडिया का काम भी ऐसे ही होता है तब कोई ना चैनल था ना कोई मोबाइल था और ना ही कोई हिंदी में एजेंसी थी केवल रिपोर्टर को दौड़ना पड़ता था किसी भी खबर के लिए केवली यू एन आई और पीटीआई एजेंसियां अखबार को खबर दिया करती थी उनका हिंदी में अनुवाद करके सब एडिटर और रिपोर्टर खबर बनाया करते थे पुरानी स्टाइल में जबकि कंप्यूटर का कहीं नामोनिशान नहीं था लाइन ओं मोनू मशीनों पर ऑपरेट होकर रोटरी मशीन पर यह अखबार छपता था दोनों ही अखबार उत्तर प्रदेश में लाखों की बिक्री वाले अखबार थे इनका कोई मुकाबला नहीं कर सकता था इसके मालिक थे देश के वरिष्ठ व्यापारी जयपुरिया उस समय लगभग डेढ़ हजार कर्मचारी यहां काम करते थे इतना अधिक अखबार छपता था कि रात से सुबह तक पूरे प्रदेश में इसकी सप्लाई करने के लिए सैकड़ों सैकड़ों गाड़ियां लगी रहती थी और चार चार मशीनें अखबार छपती रहती थी एक बार जो भी लिखता था उसको जनता सच मानती थी क्योंकि इस अखबार के अलावा केवल सरकारी रेडियो आकाशवाणी 15 मिनट का समाचार देता था जिस पर जनता विश्वास नहीं करती थी जो स्वतंत्र भारत लिख देता था बस उसी पर प्रदेश की जनता को यकीन होता था आगे जारी