मैं तो बचपन से लखनऊ विश्वविद्यालय में विचरण कर रहा हूं आरडी शुक्ला की कलम से

इस अवसर परलखनऊ विश्वविद्यालय अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहा है खुशी की बात है कि जिस विश्वविद्यालय में हमने अध्ययन किया और जिस के सबसे करीब में रहता हूं उस विश्वविद्यालय ने 100 वर्ष पूरे किए इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सीधे तौर पर सम्मिलित हो रहे हैं यहां के छात्रों ने दुनिया में नाम कमाया है इसी के साथ साथ दुनिया में लखनऊ विश्वविद्यालय का नाम किया है हर क्षेत्र में इस विश्वविद्यालय का छात्र अवश्य रहा है मैं खुशनसीब हूं कि मेरा घर इस विश्वविद्यालय से चंद किलोमीटर की दूरी पर है जब मैं हाई स्कूल में था तब 1966 में डीपी बोरा लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष पद का चुनाव लड़े मेरे घर के बगल में ही रहते थे इस कारण वह मुझ को बहुत चाहते थे और मैं भी लेकिन वह विश्वविद्यालय में थे और मैं हाई स्कूल में लेकिन मैं महानगर बॉयज स्कूल से स्कूल कट करकेबोराजी  के चुनाव प्रचार में रोज जाया करता था और इत्तेफाक की बात चुनाव जीत भी गए फिर क्या था छात्र संघ की कैंटीन में रोज जाकर बैठने लगा पंडित जी खूब चाय नाश्ता कराते रहे हाई स्कूल पास करने के बाद 1970 में लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज से इंटर पास करने के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय में अधिकृत रूप से बीकॉम में प्रवेश लिया क्योंकि राजनीति का शौक लग गया था बस विश्वविद्यालय में वही  शुरू हो गया छात्र नेता बन गया इस कारण से सभी लोग जानने लगे अखबार वालों से मिलने उनके कार्यालय रोज जाता था यही नहीं नेशनल हेराल्ड द पायनियर नवजीवन स्वतंत्र भारत दिल्ली के अखबारों तक रोज में खबर देने जाता था धीरे-धीरे इन अखबार के प्रमुख और वरिष्ठ संवाददाताओं ने मुझे विश्वविद्यालय और क्राइम रिपोर्टिंग से संबंधित तमाम खबरों के लिए चुपचाप अपने साथ लगा लिया लखनऊ विश्वविद्यालय में उत्तर प्रदेश ही नहीं उत्तर प्रदेश के बाहर तक के माफिया और अपराधियों के बारे में यहां सब को जानकारी होती थी बस यही से हम लोगों को पूरी जानकारी मिलती थी यहां से एम कॉम इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन तथा एलएलबी करने के बाद इधर उधर भटक ही रहे थ तभी लखनऊ 


के नामी-गिरामी जिलाधिकारी डॉ योगेंद्र नारायण जी ने हमसे एक दिन पूछा तु तुम करना क्या चाहते हो  मैंने उनसे कहा मैं वकालत नहीं करूंगा मैं पत्रकार बनना चाहता हूं वह हमको सीधे लेकर जयपुरिया जी से मिले और उसके दूसरे दिन से मैं स्वतंत्र भारत अखबार में काम करने लगा शुरू में वहां का कोई काम समझ में नहीं आया कुछ दिन बाद हमारे संपादक हुए स्वर्गीय वीरेंद्र सिंह वह पता नहीं कहां से हमारे पिछले जीवन के बारे में जानते थे उन्होंने मुझको क्राइम रिपोर्टिंग करने का ऑफर दिया और कहा कि तुम विश्वविद्यालय तक बहुत तेज छात्र नेता रहे हो तुमको माफिया और अपराधियों के बारे में गहन जानकारी है तुम हमारे अखबार के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होगे और उन्होंने मुझे क्राइम रिपोर्टर बना दिया उसके बाद पता नहीं कहां से मुझे शक्ति आई और मैंने लखनऊ नहीं प्रदेश और देश के कुख्यात अपराधियों और माफियाओं के खिलाफ आग उगलना शुरू कर दिया स्वतंत्र भारत की खबरें और खासतौर क्राइम रिपोर्ट पढ़ने के लिए लोग उतावले हो उठे और मैंने लगातार पुलिस के साथ मिलकर माफिया और अपराधियों के खिलाफ जमकर छापने लगा हमारा अखबार भी उठने लगा और हमारा नाम भी होने लगा हालत यह हो गई लाखों लाख अखबार की खपत होने लगी इमानदारी और निर्भीकता से मैंने लगभग सभी खतरनाक और बड़े अपराधियों और माफियाओं का काला चिट्ठा खोल कर रख दिया जो उन दिनों उत्पात मचा रहे थे रहे थे हमारी खबरों से पुलिस को बहुत सहारा मिलता था और उसको अपराधियों और माफियाओं को पकड़ने में सहूलियत होती थी हमारा और पुलिस प्रशासन का ऐसा साथ बन गया कि सरकार भी घबराने लगी बड़ेे-बड़े माफियाओं क्रा हालत खराब होने लगी हालत खराब होने लगीब होने लगी वह हमारे दुश्मन हो गए हर तरह की कोशिश कर ली कि किसी तरह वह हमको किनारे लगा वादे लेकिन वह कभी सफल नहीं हुए क्योंकि मैं जान हथेली पर लेकर ईमानदारी से काम कर रहा था हमारा अखबार नंबर वन हो गया हमारा सेठ भी हमको बहुत मानने लगा चारों ओर नाम जो मैं चाहता था आप माने या ना माने आज की तारीख में प्रदेश ही नहीं देश में अगर सबसे varishtham वरिष्ठ क्राइम रिपोर्ट कोई जिंदा होगा तो वह मैं हूंंहूं जिसमें जान हथेली पर रखकर पुलिस और अपराधियों से एक साथ मोर्चा लिया आज 70 साल की उम्र होने को है और मैं बिस्तर पर लेटा हूं इसलिए विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में नहीं जा पा रहा हूं आ heart अटैक भी हो चुका है लेकिन मन था कि लखनऊ विश्वविद्यालय का सबसे प्रसिद्ध क्राइम रिपोर्टर जो वही की वजह से बना वैसे तो लखनऊ विश्वविद्यालय मैं मेरे पिताजी थे आचार्य शिव दत्त शुक्ला आयुर्वेद संकाय के अधिष्ठाता थे मेरे भाई भी वहां पड़े बहन भी वही पड़ी मेरा लगभग आधा जीवन वही गुजरा लेकिन मैं किसी भी अपराधी और गलत आदमी का साथ नहीं  किया मैंने आज यही वजह है सैकड़ों बार मेरी जान लेने की कोशिश हुई लेकिन मैं जिंदा हूं पैसा नहीं कमाया कोठी की जगह मंदिर बनाया शायद ही किसी पत्रकार ने ऐसा किया हो जो सर पर मसाला ढो क kar यहीं से जनता का विश्वास जीता और महानगर क्षेत्र से भारी बहुमत से सभासद बना बाद में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गया जबकि मैं निर्दलीय जीता था तो आप सोचें कि जिस विश्वविद्यालय में आधा जीवन बीत गया हो सुभाष बटलर तिलक एनडी हबीबुल्ला महमूदाबाद जैसे छात्रावासों में ही हमारा जीवन कटा है आज उस विश्वविद्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी अपने विचार रख रहे हो यह हम लोगों के गौरव की बात है सभी लोग कुछ ना कुछ लिख रहे थे हमने भी सोचा कि पत्रकार हूं कुछ तो लिखो जो समझ में आया लिख दिया विश्वविद्यालय के सभी बड़े आंदोलनों में बढ़ चढ़कर भाग लिया खेलकूद में भाग लिया बड़े-बड़े नेताओं की गोष्ठियों सुनने को मिली यही से हमारा नाम हुआ ना विश्वविद्यालय में होता नाइन अपराधियों और माफियाओं के बारे में जानता और ना ही पत्रकार बन पाता सब कुछ दिया है इस विश्वविद्यालय में यही नहीं हमारे परिवार का पालन पोषण भी पिताजी को यहां से मिलने वाले वेतन सही हुआ आज मैं सभी पूर्व और वर्तमान छात्र अध्यापक कर्मचारी सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं गौरवमई इतिहास वाले विश्वविद्यालय का मान सम्मान हमेशा बढ़ता रहे आज भी मेरा भांजा अनिल मिश्रा रसायन शास्त्र उच्च कोटि का अध्यापक है पूरा परिवार विश्वविद्यालय पर ही आधारित रहा मैं आशा करता हूं किस विश्वविद्यालय का गौरव विश्व में पहले से स्थापित है और इसका मान बढ़ाएं धन्यवाद आरडी शुक्ला पूर्व सभासद अधिवक्ता पत्रकारअभी हमारा यह लेख क्रमसा रहेगा आगे भी पढ़ाता रहूंगा आपको विश्वविद्यालय की तमाम घटनाएं